युवाओं में मोबाइल फोन से बढ़ता खतरा

युवाओं में मोबाइल फोन से बढ़ता खतरा

आज इस युग में सभी तरफ लोग मोबाइल फोन का उपयोग करते नज़र आते हैं। मोबाइल के बिना आज कोई अपनी कल्पना मात्र भी नही कर सकता हैं। खासतौर पर युवाओं द्वारा  मोबाइल फोन का सबसे अधिक उपयोग किया जा रहा हैं। अगर आप भी एक युवा है और अपने मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल करते हैं या रात में मोबाइल फोन को अपने पास रखकर सोते हैं तो यकीन मानिए आप मोबाइल फोन से पैदा होने वाले खतरे से बिल्कुल अंजान है। 

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युवाओं में मोबाइल फोन से बढ़ता खतरा


मोबाइल फोन को विज्ञान का सबसे बेहतरिन आविष्कार कहाँ जाना गलत नहीं होगा क्योंकि मोबाइल फोन ने हमारे प्रत्येक कार्य को सरल बना दिया है। इसी कारण मोबाइल फोन आज के समय में सबसे उपयोगी और जरूरी वस्तु हो गया है। लेकिन आज की युवा पीढ़ी इसे फैशन के रूप में भी अपनाने लगी है इसी वजह से अब एक नही बल्कि दो या तीन मोबाइल फोन रखे जाने लगे हैं।

इस दौड़ में सिर्फ युवा ही नही बल्कि बच्चों से लेकर बुढो तक सब आगे है। सभी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने लगे हैं। क्योंकि इसमे इतनी सुविधाओं को उपलब्ध करा दिया गया है कि अब इससे खुद को दूर कर पाना बिल्कुल ना मुमकिन सा लगने लगा है। चाहे इंटरनेट का उपयोग करना हो, फ़ोटो लेना हो, गाने सुनना हो, वीडियो रिकॉर्ड करना हो या अन्य कोई काम मोबाइल ने सबको आसान कर दिया है। लेकिन इन फायदों के बीच भयंकर नुकसान भी अब सामने आने लगे हैं जो कि हमारी सेहत से जुड़े हुए हैं। मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग अब एक रोग बन चुका है जिसको वैज्ञानिकों ने नोमोफोबिया नाम दिया है। यह रोग विशेषकर 17 से 24 वर्ष के युवाओं में अधिक देखने को मिल रहा है।

नोमोफोबिया के लक्षण

नोमोफोबिया के प्रमुख लक्षण जो युवाओं में देखने को मिले हैं उनमें से कुछ इस प्रकार है जैसे कि उन्हें अक्सर यह लगता है कि उनका मोबाइल फोन कहि गुम या गिर नही जाए। इसके अलावा उनको मोबाइल फोन चोरी होने का डर अधिक सताता है। मोबाइल फोन की बेट्री खत्म होने पर अधिक चिंता करते हैं। रात में मोबाइल फोन का अधिक उपयोग करते हैं जिस वजह से नींद कम आने लगती हैं। मोबाइल फोन में सिग्नल नही आने पर बेचेनी महसूस करने लगते हैं। इस प्रकार धीरे धीरे वे मानसिक रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं। मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से युवा तनावग्रस्त हो रहे हैं और बढ़ते तनाव के कारण युवाओं में सहन शक्ति कम होती जा रही हैं। इन सबके अलावा घबराहट, उदासी, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, दिल की धड़कन तेज होना, नियमित भोजन नही करने से वजन कम होना, गर्दन में दर्द, आँखों मे सूखापन आदि लक्षण भी कुछ युवाओं में देखे जा रहे हैं।

नोमोफोबिया का प्रभाव

नोमोफोबिया बीमारी के कुछ साधारण और कुछ घातक प्रभाव युवाओं में देखने को मिल रहे हैं। मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन हमे सबसे अधिक प्रभावित करता है जिससे सिर दर्द, थकान महसूस करना, कानों का बजना, नींद नहीं आना, चक्कर आना, सिर में झनझनाहट महसूस करना, सुनने की शक्ति कम होना जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। रेडिएशन के लगातार प्रभाव में रहने से प्रजनन क्षमता में कमी, कैंसर, ब्रेन ट्यूमर की समस्या भी हो सकती हैं। मोबाइल फोन के सिग्नल के लिए जो इलेट्रोमेग्नेटिक तरंगे आती हैं, वे कोशिकाओं की व्रद्धि को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं। मानव शरीर में लगभग 70 प्रतिशत सिर्फ पानी होता हैं और ऐसे में जब हमारे शरीर पर रेडिएशन का प्रभाव लगातार बना रहता है तो पानी का अवशोषण होने लगता हैं। गर्भवती महिला यदि मोबाइल फोन का अधिक उपयोग करती हैं तो रेडिएशन का प्रभाव गर्भस्थ शिशु को प्रभावित कर सकता है।

नोमोफोबिया से बचाव के उपाय

नोमोफोबिया से बचाव के कुछ साधरण उपाय निम्न प्रकार है जैसे- रात्रि में सोते समय या अधिक रात्रि तक मोबाइल फोन का उपयोग न करे, मोबाइल फोन को तकिये के नीचे या पास में रखकर न सोए। कॉल और रिसीव करते समय हेड सेट का उपयोग करे। अधिक समय तक चैट और कॉल न करें। बिना वजह मोबाइल फोन का उपयोग करने से बचे। मोबाइल फोन को पॉकेट में न रखे और अपने शरीर से दूर रखने की कोशिश करें।
इन सबके अलावा सप्ताह में एक दिन मोबाइल फोन को खुद से पूरी तरह दूर रखें,मोबाइल फोन की बेट्री दिन में एक बार ही पूरी तरह से चार्ज करें।
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